Cotton Cultivation (Hindi)
Cotton
Botanical name – Gossypium Spp.
Family – Malvaceae
Origen –
India
v
Introduction: -
F कपास को सफ़ेद सोना या रेशे वाली फसलों का राजा कहा जाता है।
F कपास के बीजों में १२-१५ % तेल पाया जाता है।
F कपास की खली में N -५ %, P -३%, K -२% पाई जाती है।
F कपास की पहली संकर प्रजाति - H - 4 है जिसे C.T. Patel द्वारा गुजरात में निकाली
गई।
F कपास में जमाव - एपीजिअल प्रकार का
F कपास में रेशे की लम्बाई या परिपक्वता - एरिलोमीटर से नापते है।
F कपास से सम्बंधित जहरीला पदार्थ - गोसीपोल
F विश्व में कपास उत्पादन पहला स्थान चीन दूसरा भारत व तीसरा स्थान USA का है।
F भारत में क्षेत्रफल व उत्पादन में गुजरात का प्रथम स्थान है।
F राजस्थान का हनुमानगढ़ जिला का प्रथम स्थान है।
F कपास दिवस निष्प्रभावी (Day neutral plant) पौधा है।
F कपास की रुई की एक गांठ वजन - 170 kg
F जूट की एक गांठ - 180 kg
F कपास रेशे तथा बिनौला का अनुपात -33 %
F कपास के लम्बे रेशे को - Lint तथा छोटे रेशों को fuzz कहते है।
F कपास के फूलों को squar तथा फलों डोडा
कहा है।
v Branches: -
þ मोनोपोडियल - कपास की वानस्पतिक शाखाओं को मोनोपोडिल शाखाएं कहा जाता है।
þ सिंपोडियल - यह कपास में प्रजननीय शाखाएं हैं जिन पर फल बनता है।
þ परागण - कपास बहुधा परपरागित
फसल है इसमें परगण मधुमक्खियां के द्वारा होता है।
v कपास का वर्गीकरण -
1.
देसी कपास (द्विगुणित 2n = 26) पुराने विश्व की कपास
भी कहलाती है -
A.
गोसीपियम अरबोरियम
B.
गोसीपियम हर्बेसियस
2.
अमेरिकन कपास (चतुर्थगुणित 2n =52 ) नए विश्व की कपास
A.
गोसीपियम हिर्सुटम
B.
गोसीपियम बारबेडेन्स
v Soil and Climate
कपास उष्ण जलवायु का पौधा है इसकी बुवाई में जून में की जाती है। भारत में 96% क्षेत्र पर हिर्सुटम प्रजाति व उसके संकर
किस्में उगाई जाती है। इसके लिए क्ले मृदा
या चिकनी या काली मृदा सर्वोत्तम मानी जाती है। जिसका पीएच मान 5.5 से 8.5 के मध्य होना चाहिए।
v तापमान -
F बीज अंकुरण के लिए 160C से अधिक
F वानस्पतिक वृद्धि के लिए 21 से 270C के मध्य
F फल पकते समय 27 से 320C के मध्य तापमान होना चाहिए।
v किस्में -
F देसी कपास की किस्म - लोहित, प्रताप कृषि- 1 , गिरनार , RG – 8
F अमेरिकन किस्मे - बीकानेरी नरमा, सुजाता, RS - 89, RS - 2013, RST - 875, RST -9
F हाइब्रिड किस्मे - H - 4 या संकर - 4 कपास का प्रथम हाइब्रिड जो C.T. पटेल के द्वारा गुजरात एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में तैयार किया गया । H - 6, वारालक्षमी, मरू विकास, सूर्या, सविता, MCU – 5.
F
BT कपास की किस्म - अंकुर, MECH -4, MECH -162, RCH -138, बॉलगार्ड -2
v बीजदर -
þ देसी कपास -10 से 18 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
दूरी - 45 से 60 * 15 सेंटीमीटर
þ अमेरिकन कपास - बीज दर 18 से 20 क प्रति हेक्टेयर
दूरी 60 * 30 cm
पादप संख्या 55000 पादप प्रति हेक्टेयर
þ संकर कपास - 2 -3 kg बीज प्रति हेक्टेयर
दूरी 100 * 60 सेंटीमीटर, पौधे 13388
þ BT कपास - बीज दर 1 - 1.5 kg प्रति हेक्टेयर
दूरी 100 * 100 सेमी , प्लांट 10000 प्लांट प्रति हेक्टेयर
Bt कपास के पैकेट के साथ 20% नॉन Bt कपास के भी बीज दिए जाते हैं
जिन्हें लगाना आवश्यक होता है जिससे कपास के डोड़ों की लेटें Bt कपास के प्रतिरोधी नहीं हो पाती है। Bt कपास की पहली पीढ़ी BG
-I 1996 में विकसित हुई जिसमें कपास के डोड़ों की लटों को मारने वाली Cryl
AC बेसिलस थुरुन्जेंसिस बैक्टीरिया से प्राप्त कर कपास के पौधों में डाली गई।
जिन्हें भारत में लगाने की अनुमति 2002 में GEAC द्वारा मिली।
विश्व में Bt कपास की दूसरी पीढ़ी BG - II 2006 में विकसित की
गई जिसमें Cryl AC एवं Cryl 2Ab जीन डाली गई क्योंकि कई क्षेत्रों में BG - I किस्म के प्रति डोडे
की लटें रोधी हो चुकी थी भारत में BG - I व BG - II दोनों की किस्म प्रचलित है।
Note - Bt कपास खेत के चारों ओर 20% क्षेत्र में नॉन Bt कपास उगाना रिफ्यूजिया
स्ट्रेटजी कहलाता है। भारत में Bt कपास की स्वीकृति 2002 वह व्यावसायिक उत्पादन 2002-2003 में प्रारंभ हुआ।
Bt कपास में टर्मिनेटर जीन डाली जाती है। जिससे इसका प्रभाव पौधो में केवल
1 वर्ष तक रहता है इस कारन Bt कपास के बीज प्रत्येक
वर्ष नए खरीदने पड़ते है।
v खरपतवार प्रबंधन -
F Alachlor
(लासो) 1 kg/hac अंकुरण पूर्व
F बेसालिन फ्लूक्लोरेलिन 1 kg/hac बुवाई के समय
F डाइयुरोन अंकुरण पूर्व 0.5 kg/hac
v कपास के दैहिक विकार –
1. तिरक - डोडे का परिपक्व होने से पहले फट जाना तिरक कहलाता है। यह समस्या क्षारीय मृदा में N की कमी से होती है।
2. Little leaf - पौधो
की पत्तियां छोटी रह जाती है। यह Zn की कमी से होता है।
3. Crinkle leaf - इसमें
पौधो किपतियाँ सिंकुड़ जाती है। यह Mn की अधिकता के कारण होती
है।
ü कपास की ओटाई (Ginning) - कपास में ginning 33 % पाई
जाती है।
ü नेपिनेस - इससे रेशे की मोटाई नापते है।
ü Fibre finess is measured by
micronaire .
v Insect Management -
F अमेरिकन लट - Helicoverpa armigera
F कपास की गुलाबी सुंडी -
Pectinophora Gossypiylla
F धब्बेदार भूरी सुंडी -
Iryaz insulena
F पती मोड़क -
Cylepta derogeta
F कपास की लटों का नियंत्रण -
डोडे की लट के लिए फेरोमेन ट्रैप लगावे। NPV 250 - 500 ml/hac का प्रयोग करें।
þ कपास के रस चूसने वाले कीट -
F फुदका - Emsecta vigutulla
F सफ़ेद मक्खी - Bamessia tabaci
v रोग -
1.
जीवाणु
अंगमारी /ब्लैक आर्म /झुलसा - Xanthomonas malvecerum
यह कपास का प्रमुख जीवाणु जनित रोग है इसे कपास का काली
भुजा रोग भी कहते है। इसके नियंत्रण के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड के घोल का छिड़काव
करना चाहिए।
2.
उकठा
रोग - Fusarium Spp .
मेन्कोजेब 0.2 % का घोल
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