Lecture 1 Milch breeds of Indian Cow
Lecture 1
Milch Breeds of Cow
1. Gir
F उत्पति स्थान - काठियावाड़ (गुजरात ) - जूनागढ़ , भावनगर, अमरेली जिलों में
F राजस्थान में - अजमेर व भीलवाड़ा जिलों में
v विशेषताएं -
1.
इस
नस्ल के पशुओं का रंग लाल, सफ़ेद पर काले कत्थई व सफ़ेद धब्बे होते है।
2.
शरीर
सुडोल , भारी , कान
लम्बे लटकते हुए, माथा चौड़ा व उभरा हुआ,अयन पीछे तक फैला हुआ।
3.
गाय
का भार 380 -450 kg ,नर
का भार -550 - 650 kg
4.
दूध
उत्पादन - 1500 से 1800
लीटर प्रति ब्यांत
5.
औसत
वसा - 4.5 %
F उत्पति स्थान - राजस्थान का पश्चमी क्षेत्र
F यह नस्ल राजस्थान के जैसलमेर , गंगानगर, बीकानेर जिलों में पाई
जाती है।
v विशेषताएं
1. इस नस्ल के पशुओ का रंग हल्का सफ़ेद , हल्का लाल या काले लाल धब्बेदार होता है।
2. शरीर मध्यम आकार का , त्वचा ढीली, सींग
छोटे व मोटे , गलकम्बल लटकता हुआ व पूंछ लम्बी होती है।
3. गाय का वजन - 350 - 380 kg व
नर का वजन 500 से 550 kg का
होता है।
4. दूध उत्पादन - 1200 - 1500 लीटर प्रति ब्यांत
5. वसा - 4 - 4.5 %
3. सिंधी
F उत्पति स्थान - इसकी उत्पति पाकिस्तान के
कराची तथा हैदराबाद राज्य से हुई है।
F Another name - रेड कराची और रेड सिंधी
F Male weight - 530 kg
F Female weight – 325 kg
F मिल्क प्रोडक्शन - 1100 - 2600 लीटर /ब्यांत
F वसा - 4.5 %
F इस नस्ल की गाय 39 - 50 माह में पहली बार बच्चा देती है।
F इस नस्ल के पशु लाल रंग के होते है।
4. देवनी
F इसका उत्पति स्थान महाराष्ट्र का मराठवाड़ा
क्षेत्र तथा इससे जुड़े हुए कर्नाटक तथा पश्चिमी आंध्र प्रदेश केक्षेत्रों से हुई
है।
F Other name - डोंगरपति , डोंगरी, वन्नेरा
F Male weight - 650 kg
F Female weight - 450 kg
F मिल्क प्रोडक्शन - 1100 - 1200 लीटर /ब्यांत
F वसा - 4.3 %
F इस नस्ल की गाय 48 माह में पहली बार
बच्चा देती है।
F इस नस्ल के पशु धब्बेदार काला तथा सफ़ेद रंग
के होते है।
5. साहीवाल
F इसका उत्पति स्थान रावी नदी के किनारे
मोंटगोमरी जिला, पाकिस्तान
F Another name - लोला, मोंटगोमरी, मुल्तानी, तेली
F Male weight - 500 kg
F Female weight - 425 kg
F मिल्क प्रोडक्शन - 2725 - 3175
लीटर /ब्यांत
F वसा - 4.5 %
F इस नस्ल की गाय 46 माह में पहली बार बच्चा देती है।
F इस नस्ल के पशुओं का दूध सबसे मीठा होता है।
F भारतीय नस्लों में सबसे ज्यादा दूध देने वाली
नस्ल।
F साहीवाल नस्ल के पशुओ की त्वचा ढीली होती है इसलिए इसे लोला भी कहते है।
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