Pearlmillet Cultivation (Hindi) -II
v सिंचाई- F बाजरा को पाँच सिंचाई की आवश्यकता होती है। (1) Sowing time (2) Tillering (3) Panicle initiation (4) Flowering (5) Dough stage v खरपतवार प्रबंधन- F खुरपी/कल्टीवेटर की सहायता से 4-5 सेमी गहरी 1-2 निराई-गुड़ाई करनी चाहिए। F एट्राजीन (pre-emergence) 0.5 किग्रा/हेक्टेयर , 800-1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। F पहली निराई-गुड़ाई के बाद पौधों की छँटाई करें और 10-15 सेमी की दूरी रखें। v प्लांट का संरक्षण- v बाजरे का हरित बाली रोग – þ स्क्लेरोस्पोरा ग्रेमिनिकोला कवक के कारण होता है। þ बीज एवं मृदा जनित रोग þ नियंत्रण:- Apron SD @ 6 ग्राम/किग्रा बीज उपचार þ मेन्कोजेब 2 किग्रा/हेक्टेयर स्प्रे v बाजरे का अर्गट रोग (चिपका रोग)- þ क्लैविसेप्स फ्यूसीफोर्मिस कवक के कारण होता है। þ बीजों पर शहद जैसा चिपचिपा पदार्थ चिपक जाता है þ यह बीज जनित रोग है þ नियंत्रण:- बीज उपचार थीरम/कैप्टन 3 ग्राम/किलो बीज द्वारा करें। þ 3-4 वर्ष का फसल चक्र अपनायें v स्मट रोग (कंड रोग)- þ टॉलीस्पोरियम पेनिसिलेरी के कारण होता...