Maize crop cultivation (Hindi)

                                                                                Maize

Botanical name Zea mays

Family – Poaceae

Origen – Mexico

v  Important Points -

F मक्का को धान्य फसलों की रानी कहा जाता है।

F इसका फल कैरिओप्सिस प्रकार का होता है।

F पोषक मान : -  प्रोटीन 11%,वसा 3.6 %, खनिज लवण 1.5%, कार्बोहाइड्रेट 66%, तेल  4% . 

F मक्का में 'जीन' नामक प्रोटीन पाई जाती है जिसमें ट्रिप्टोफेन तथा लाइसिन नामक दो आवश्यक अमीनो अम्ल की कमी पाई जाती है।

F राजस्थान में सर्वाधिक मात्रा में मक्का चित्तौड़गढ़, उदयपुर डूंगरपुर बांसवाड़ा में होता है।

F बेबी कॉर्न की खेती विश्व में सबसे पहले थाईलैंड में शुरू हुई थी।

F संकर मक्का के बीज बनाते समय पौधों से नर पुष्प परागण हटाने की क्रिया  Emasculation कहलाती है।

v  Plant Morphology

F मक्का का पौधा लंबा शाकीय होता है तथा लंबाई 3 मीटर तक होती है।

F जड़ - मक्का के पौधे में तीन प्रकार की जड़े पाई जाती है। (1) प्राथमिक (2) शिखर जड़ें (3 ) एरिल जड़े।

F तना - मक्का के तने को स्टॉक या कल्म कहा जाता है। एक पौधे में 8 से 21 गांठें होती है लगभग 12 से 18 पत्तियां पाई जाती है।

F मादा पुष्प - मक्का के मादा पुष्प सिल्क कहते हैं इससे कॉब का निर्माण होता है।

F मक्का के नर पुष्पक्रम को टेसल कहते हैं। यह पौधे के सबसे ऊपरी भाग पर स्थित होता है।

v  वानस्पतिक गुण के आधार पर इसको 7 वर्गों में बांटा गया है -

1.      फ्लिंट कॉर्न - इसकी खेती सबसे पहले भारत में की जाती थी। इसके दाने कठोर स्टार्ची नेचर के होते हैं।

2.      डेंट कॉर्न - इसकी खेती सबसे अधिक होती है। यह मुख्यतः अमेरिका में की जाती है।

3.      स्वीट कॉर्न - इसमें स्टार्च की अपेक्षा चीनी अधिक पाई जाती है इसके बीज अर्द्धपारदर्शक  होते हैं इसका उपयोग डिब्बाबंदी के लिए किया जाता है।

4.      पॉप कॉर्न - इसके दाने नुकीले होते हैं। इसका बीज कोश  कठोर होता है। दाने भुने जाने पर खूब खिल जाते हैं। खिलने के लिए उपयुक्त तापमान 170 डिग्री सेंटीग्रेड देते हैं।

5.      सॉफ्ट कॉर्न - इसका उपयोग मुख्यतः  आटे के रूप में किया जाता है।

6.      वेक्स कॉर्न - इसकी खेती चीन में की जाती है। इसका प्रयोग मुख्यतः चिपकने वाले पदार्थ बनाने में किया जाता है।

7.      पॉड कॉर्न -  इसका उपयोग मुख्यतः चारे के लिए किया जाता है।

v  जलवायु - मक्का गर्म जलवायु का पौधा है। मक्के के लिए उपयुक्त तापमान 24 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान उपयुक्त रहता है। फूल लगने व दाना तैयार होने के समय उपयुक्त तापमान 25 डिग्री सेंटीग्रेड होता है। मक्का की खेती के लिए वार्षिक वर्षा 50 से 75 सेंटीमीटर या 500 से 700 MM उपयुक्त रहती है।

v  मृदा - गहरी उपजाऊ दोमट मृदा सबसे उपयुक्त मानी जाती है जिस का मान 6 से 8.5 के मध्य होना चाहिए।

v  मक्का की संकुल किस्में - देसी किस्मों का आपस में संकरण कराकर संकुल किस्म का विकास किया गया है। इसके बीज को 3 वर्षों तक उपयोग में लाया जा सकता है। जैसे जवाहर, सोना, विजय, केसरी, कंचन, नवीन, लक्ष्मी, श्वेता, प्रभात इत्यादि।

F मक्का की संकर किस्म - संकर किस्मों का निर्माण सबसे पहले अमेरिका  के कनकटीक्यूट अनुसंधान केंद्र पर 1921 में किया गया इसको बनाने में 6 साल का समय लगा। जैसे ढक्कन-103, हाई स्टार्च, गंगा सफ़ेद - 4, गंगा -11, गंगा -2,  सरताज, पारस, BL -42, प्रकाश, त्रिशुला, कोहिनूर इत्यादि। 

F माधुरी और प्रिया - स्वीट कॉर्न की किस्में है।

v  बुवाई का समय -

F रबी में - अक्टूबर के मध्य और नवंबर के अंत तक।

F जायद में - फरवरी-मार्च में

F खरीफ - जून-जुलाई में मक्का की बुवाई की जाती है।

v  बीजदर -

F संकर मक्का की बीज दर - 20 से 25 Kg प्रति हेक्टेयर

F संकुल मक्का की 18 से 20 Kg प्रति हेक्टेयर

F जायद मक्का की 20 से 25 Kg प्रति हेक्टेयर

F चारे के लिए 40 से 45 Kg प्रति हेक्टेयर

F स्वीट कॉर्न  8 Kg प्रति हेक्टेयर

F पॉपकॉर्न 12 Kg प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है।

v  बीज उपचार - थाइरम या विटावेक्स 1.5 से 2 ग्राम प्रति Kg दर से बीजों को उपचारित करना चाहिए।

v  अंतरण : - 

F 60 * 25 सेंटीमीटर सिंचित क्षेत्रों के लिए

F 45 * 20 सेंटीमीटर असिंचित क्षेत्रों के लिए

F मीठी मक्का के लिए 75 * 25 सेंटीमीटर

F चारे के लिए 30 * 10 सेंटीमीटर की दूरी रखी जाती है।

v  खाद एवं उर्वरक : - 1 hac. में मक्का की अच्छी फसल भूमि से 125 Kg नाइट्रोजन, 60 Kg फास्फोरस,75 Kg पोटाश ग्रहण करती है। FYM - 10 से 15 टन प्रति हेक्टेयर।

v  जल प्रबंधन - मक्का के पूरे जीवन काल में 50 से 70 सेंटीमीटर पानी की आवश्यकता होती है। जल मांग - प्रारंभिक बढ़वार के समय, फूल आते समय,दाना बनते समय एवं नर मंजरी आते समय सिंचाई की आवश्यकता होती है।

v  खरपतवार नियंत्रण - मक्का में खरपतवार से मक्के की उपज में 50 से 60% तक कमी आती है। खरपतवार नियंत्रण के लिए एट्राजिन और सीमाजीन 1-1.2 Kg प्रति हेक्टेयर की दर से 1000 लीटर पानी में मिलाकर बुवाई के तुरंत बाद छिड़काव कर देते है।

v  कीट नियंत्रण :-

F तना छेदक - मक्का की फसल की सर्वाधिक हानि इसी कीट से होती है। इसका प्रकोप बुवाई के 30 से 35 दिन के बाद दिखाई देता है।

F फौजी कीट - यह कीट रात को आक्रमण करता है।

F माहू कीट - फूल के समय आक्रमण करता है। 

F भुटों की इल्लियाँ : - थायोडोन  1.5 लीटर या कार्बोरिल  2 Kg को 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर बुवाई के 15 दिन बाद छिड़काव करते हैं।

v  रोग नियंत्रण : -

F Seed rot and seedling blight - इस रोग से बीज सड़ जाते हैं। इसकी रोकथाम के लिए 3 ग्राम प्रति किलो बीज थाइरम से उपचारित करते हैं।

F Downy mildew - यह रोग लगने से क्लोरोफिल की हानि होती है जिससे पत्तियों पर सफ़ेद रंग की धारियां बन जाती है।

v  मक्के की कटाई - बुवाई के 90 से 100 दिन में कर लेते हैं। जब दानों में 20 से 25% नमी रहे।

v  उपज

F संकर मक्का 50 से 60 quantal /hac

F संकुल मक्का 40 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर

F हरा चारा 300 से 400 प्रति हेक्टेयर

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