Lecture 2 Atmosphere – its composition, extent and structure

 

Atmosphere – its composition, extent and structure

v Atmosphere

वायुमंडल पृथ्वी को चारो तरफ से ढकने वाला एक बहुस्तरीय गेसीय आवरण (Multilayer gaseous envelop) है जिसका कुल द्रव्यमान 56X1014 टन है और इसकी समुद्रतल से ऊंचाई 16 से 29 हज़ार किलोमीटर तक आँकी गई है । इसका द्रव्यमान घनत्व ऊंचाई के साथ-साथ कम होता रहता है ।

ü  वायुमंडल जीवमंडल (Biosphere) के सभी वनस्पतियों एवं प्राणियों के लिए आवश्यक गेसें, ऊष्मा, और जल उपलब्ध कराता है इसी के चलते पृथ्वी पर समस्त जीवधारियों के लिए बसने योग्य क्षेत्र बन सका है ।

ü  यह सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों का अवशोषण कर उन्हें पृथ्वी की सतह पर आने से रोकता है इस प्रकार धरातल अधिक गर्म होने से बच जाता है

v वायुमंडल का संगठन (Composition of Atmosphere)

1.   गैसे

2.   जलवाष्प

3.   निलंबित कणिकीय पदार्थ या एरोसॉल

v गैसे

1.   स्थिर गैसे (Constant/permanent gases)

2.   परिवर्तनशील गैसे (Variable Gases)

1)   स्थिर गैसे

ü  वायुमंडल में नाइट्रोजन 78.1, ऑक्सीजन 20.9, ऑर्गन 0.9 प्रतिशत होती है .

ü  वायुमंडल के निचले भाग या 80 किलोमीटर की ऊंचाई तक इन गैसों का अनुपात स्थाई रहता है

ü  वायुमंडल में नाइट्रोजन 7 रूपों में पाई जाती है

                     I.        नाइट्रस ऑक्साइड

                   II.        तात्विक नाइट्रोजन

                 III.        अमोनिया

                IV.        नाइट्रस एसिड

                  V.        नाइट्रिक ऑक्साइड (NO)

                VI.        अमीनो एसिड

               VII.        नाइट्रोजन पराक्साइड (NH)

ü  नाइट्रोजन सभी जीव धारियों के लिए आवश्यक है क्योंकि यह प्रोटीन निर्माण के लिए अमीनो एसिड का मुख्य अवयव है वायुमंडल में नाइट्रोजन सर्वाधिक पाई जाती है फिर भी जीवधारी इसे सीधे ग्रहण नहीं कर पातेहै।
जीवमंडल में नाइट्रोजन साइकिल चलता है जो निम्नलिखित चरणों में पूरा होता है

ü  वायुमंडलीय नाइट्रोजन का मिट्टी में पाये जाने वाले बैक्टीरिया द्वारा दलहनी पौधो की जड़ों में स्थिरीकरण

ü  स्थिरीक्रत नाइट्रोजन का मिट्टी में अमोनिकरण और नाइट्रीकरण की क्रियाओ द्वारा खनिजीकरण

ü  जिसके फलस्वरूप पौधे अमोनियम आयन या नाइट्रेट आयन के रूप में ग्रहण करते है ।

ü  विनाइट्रीकरण द्वारा पुनः तात्विक नाइट्रोजन का वायुमंडल में मिल जाना

Ø  अमोनिकरण (Ammonification) : - नाइट्रोजन युक्त कार्बनिक पदार्थों पर बैक्टीरिया की क्रिया से अमोनिया या अमोनियम यौगिकों के उत्पादन के साथ अपघटन की क्रिया अमोनिकरण कहलाती है

Ø  खनिजीकरण  (Mineralisation): - खनिजीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक अकार्बनिक पदार्थ कार्बनिक पदार्थ में अवक्षेपित होता है यह किसी जीव के जीवन के दौरान होने वाली सामान्य जैविक प्रक्रियाओं के कारण हो सकता है जैसे हड्डियों का निर्माण, अंडे के छिलके का निर्माण, दांतों का निर्माण इत्यादि

Ø  नाइट्रीकरण (Nitrification): - इसमे अमोनिया या अमोनियम का आक्सीकरण होकर इसे नाइट्रेट या नाइट्राइट में बादल देता है इसे नाइट्रीफीकेसन कहते है ।

v  v Oxygen

वायुमंडलीय oxygen अत्यंत सक्रिय गैस है इसे जीवधारियों की प्राण वायु भी कहते है तथा यह उनके शरीर में carbohydrate, वसा (fat) और प्रोटीन निर्माण में अहम भूमिका अदा करती है यह वायुमंडल में 60 Km की ऊंचाई तक पायी जाती है अधिक ऊंचाई पर यह विघटित हो जाती है ।

    2. परिवर्तनशील गैसे (Variable geses)  इसके अंतर्गत

                     कार्बन डाइ ऑक्साइड    (co2)

                             ओज़ोन                    (O2)

                             हाइड्रोजन                (H2)

                            हीलियम                  (He)

                             नियान                     (Ne)

                             जेनोन                     (X2)

                             क्रिप्टोन                    (Kr)

                             मिथेन                      (Me)

ü  Co2 की मात्रा वायुमंडल में कम होती है यह धरती पर जीवधारियों के विकास एवं उत्पति मे बहुत महत्वपूर्ण है इसी के चलते प्रकाश संश्लेषण की क्रिया संभव होती है ।

ü  Co2 वायुमंडल में प्रवेश करने वाले सौर विकिरणों के लिए पारदर्शी परंतु पृथ्वी के बाहर जाने वाले सौर विकिरणों के लिए अपारदर्शी होती है जिसके फलस्वरूप हरित प्रभाव उत्पन्न होता है ।

ü  औध्योगिक क्रिया कलापों के चलते रहने के कारण बढ़ रहे Co2 के सान्द्रण के फलस्वरूप Global warming (भूमंडलीय तापन) का खतरा बढ रहा है ।

ü  aऔज़ोन (O3) की उपस्थिती समस्त वनस्पतियों एवं प्राणी जगत के लिए खासतोर से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसकी परत सौर पराबेंगनीकिरणों (Solar ultra violet rays) से पृथ्वी के जीव जन्तुओ को बचाने के लिए कवच का काम करती है ।

ü  आजकल ग्रीन हाउस गैसों जैसे क्लोरो फ़्लोरो कार्बन के उत्सर्जन के फलस्वरूप औज़ोन परत में क्षरण हो रहा है ।

ü  औज़ोन गैसे वायुमंडल में 10-15 Km की ऊंचाई पर सर्वाधिक पाई जाती है ।

2. जल वाष्प 

ü  वायुमंडल में उपस्थित जलवाष्प वायुमंडल का एक महत्वपूर्ण घटक है क्योंकि इसी से वायुमंडल में नमी से संतृप्तीकरण (saturation),संघनन (Condensation) और वर्षा (Precipitation )के विभिन्न रूपों जैसे हिमपात, तुषारापात, उपलपात, जलवृष्टि, कोहरा और संघनन जल आदि के निर्माण की प्रक्रिया संपन्न होती है।

ü  वायुमंडल में जलवाष्प के मुख्य स्त्रोत भूमि एवं भूमिगत जल भंडारों जैसे सागरों, नदियों नालों, जलाशयों, आदि की सतहों से होने वाल वाष्पीकरण तथा भूमि पर उपस्थित वनस्पतियों से होने वाला उत्स्वेदन है। 

ü  ये जलवाष्प वायुमंडल में उपस्थित कणिकीय पदार्थों जैसे धूल कणों आदि के साथ अधिशोषण की क्रिया द्वारा  आद्रताग्राही जल के रूप में होते है जो की  -10000  बार से लेकर -31 बार यानि वायुमंडलीय दाब तक के  जल विभव के अंतर्गत धारित होते है जो की वायुमंडल के किसी भाग में जल के संतृप्तीकरण (saturation), संघनन (condensation) और जलबिंदुको (water drops) के निर्माण की प्रक्रिया के फलस्वरूप वर्षा का रूप ले लेते है।

ü  वायुमंडल की सम्पूर्ण जलवाष्प का 90 % से अधिक भाग समुंद्रतल से 5 km की ऊंचाई तक पाया जाता है।  यदि वायुमंडल की सम्पूर्ण जलवाष्प  की राशि संघनित कर दी जाये तो पृथ्वी के चारों ओर 2.5 cm मोती जल की सतह निर्मित हो जाएगी।  

3. निलंबित कणिकीय पदार्थ या एरोसॉल (suspended particulate matters or aerosols)

ü  वायुमंडल में उपस्थित निलंबित कणिकीय पदार्थों जैसे धूल कणों, चट्टानों के अपक्षय से निकलने वाली शैल कणों, उल्का किरणों, ज्वालामुखी से निकलने वाली राख कणों, सागरीय सतहों से निकलने वाली नमक कणों तथा जैव पदार्थों जैसे बैक्टीरिया, परागकण, सूक्ष्म बीजों के साथ चिपके जल बिंदुकों को सम्मिलित रूप से एरोसोल कहते है। 

ü  इनकी मात्रा ऊंचाई के साथ साथ घटती जाती है।

Structure of atmosphere: - वायुमंडल की संरचना

Ø  वायुमंडल कई सकेंद्रिय परतों या क्षेत्रों वाली सरंचना है इन परतों को उपमंडल भी कहते है। 

Structure of Atmosphere



 

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