Lecture 4 Dissemination and Propagation of Weeds
Propagation of Weeds
By Seed (बीज द्वारा जनन)
ü एकवर्षीय खरपतवार अधिकतर बीज के द्वारा जनन करते है ।
ü बहुवर्षीय खरपतवार भी अनुकूल परिस्थितियाँ मिलने पर फलने फूलने व बीज तैयार करने का कार्य करते है ।
ü यदि किन्ही कारणों से बहुवर्षीय खरपतवारों मे बीज नही बन पाते है तो ये अन्य वानस्पतिक विधि से जनन करते है।
ü जंगली चौलाई (Amaranthus
viridis), ज्वासा (Alhagi comilorum), कृषननील (Anagalis arvensis), प्याजी (Asphodelus tenuifolius), दुद्धि (Euphorbia hirta & macrophylla), हज़ारदाना (Phyllanthus niruri) इत्यादि खरपतवार केवल बीजों के द्वारा ही जनन करते है ।
ü इसके अतिरिक्त मौथा, काँस, आदि को बीज आने से पहले नष्ट कर दिया जाए तो वे वानस्पतिक भागों के द्वारा पौधा तैयार कर लेते है ।
ü कनाडा थीस्ल प्रति पौधे के रूप में कम से कम 680 बीज पैदा करने के लिए देखा
गया है, कर्ली डॉक अक्सर प्रति पौधे 30,000 से अधिक बीज पैदा करता है।
By Roots (जड़ों द्वारा)
ü हिरणखुरी (Convolvulus arvensis)
By Stem (तने द्वारा)
ü कुछ खरपतवार जैसे दूब जिनके तनों पर गाँठे पाई जाती है इन गांठों से नये पौधे तैयार होते है , दूब व हिरणखुरी इसका अच्छा उदाहरण है ।
ü वुडस सोरेल व दूब मे तना भूमि की सतह पर रेंगकर चलता है तथा वायुवीय प्रांकुर (Shoots) तैयार करता है जिनहे runner कहते है ।
ü Runner जब भूमि के उपर धनुषाकार संरचना बनाता है तो उसे
stolan कहते है ।
ü जब runner भूमि की सतह के थोड़ा नीचे चलते है तो उन्हे Suckers कहते है ।
ü हॉक वीड, जलीय खरपतवार जैसे जलकुंभी व पिस्टिया केन्सियोलेटा के runners
पानी की सतह के नीचे चलते है इन्हे ऑफसेट कहते है
By Rhizomes
and tubers
ü मौथा नामक खरपतवार की जड़ों मे कन्द (Tuber) 1.6 cm आकार तक पाये जाते है । इन्ही कन्दों से नए पौधे तैयार होते है ।
ü काँस एवं सरपट नामक खरपटवारों की जड़ों मे प्रकन्दों (Rhizomes) द्वारा नए पौधे तैयार होते है ।
ü हिरणखुरी के rhizomes 10 cm व क़्वेकग्रास के Rhizomes
30 cm से नए पौधो को जन्म देने की क्षमता रखते है ।
By Leaves
ü Trianthema monogyna
Dissemination of Weeds
Dissemination by Wind
ü खरपतवारों के हल्के किस्म के बीज एक स्थान से वायु द्वारा उड़ाकर दूसरे स्थान पर छोड़ दिये जाते है ।
ü कुछ खरपतवार के बीज व फलो मे कुछ
सरंचनात्मक रूपान्तर पाये जाते है जिनकी सहायता से खरपतवार हवा के द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँच जाते है ।
ü कुछ खरपतवारों के फलों व बीजों के किनारे चपटे, जैसे रुमेक्स, बालदार पेराशूट बीजों के चारों ओर बालों ओर काँटों का आवरण होता है जैसे कंटीली , जंगली चौलाई, इत्यादि ।
ü कुछ खरपतवारों के बीज बालों से ढके रहते है जैसे आक या मदार।
ü कुछ खरपतवारों के बीजों का परीक्षण भार या 1000 बीजों का भार 0.02 ग्राम पाया जाता है जैसे pelicrapaiya
coriambosa के बीज हल्के होने के कारण एक स्थान से दूसरे स्थान तक चले जाते है ।
Dissemination by Water
ü नदियों, नहरों व सिंचाई
के अन्य तरीकों से
खरपतवार के बीज एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँच जाते है ।
ü इन खरपतवारों की अंकुरण शक्ति पानी में 3-5 साल तक बनी रहती है ।
ü जल में तैरने के लिए बीजों व फलों में
कई प्रकार के अनुकूलन पाये जाते है ।
Dissemination by men
ü बिना सड़ी गली खाद को खेत में डालने, पशुओं
के चारे में खरपतवार के पोधों को खिलाने आदि के द्वारा खरपतवार एक स्थान से दूसरे स्थान
तक पहुँच जाते है ।
ü नर्सरी के पौधों के द्वारा भी खरपतवार एक स्थान से दूसरे स्थान
तक पहुँचते है ।
ü सिंचाई की नालियों व नहरों की सफाई न करने से भी खरपतवार फैलते
है ।
Dissemination by Farm machines
ü कृषि यंत्र भी अपने साथ rhizomes, जड़े, खरपतवार
के पौधे एक खेत से दूसरे खेत में पहुंचा कर खरपतवार को फैलाने का कार्य करते है।
ü अंत: कृषि यंत्रों को एक खेत से दूसरे खेत में ले जाने से पहले
साफ कर लेना चाहिए ।
Dissemination by Crop Seeds
ü जिन क्षेत्रों में खरपतवार नष्ट नहीं किए जाते उनके बीज फसल
के बीजों के साथ मिल जाते है।
ü ऐसे क्षेत्रों से प्राप्त फसल
का बीज जब दूसरे क्षेत्रों में बोये जाते है तो खरपतवार एक स्थान से दूसरे स्थान पर
पहुँच जाते है ।
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